शिक्षा के बारे में स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था जिस शिक्षा से हम अपना जीवन निर्माण कर सकें, मनुष्य बन सकें, चरित्र गठन कर सकें और विचारों का सामंजस्य कर सकें, वही वास्तव में शिक्षा कहलाने योग्य है। किन्तु आजादी के पश्चात् श्रेष्ठ शिक्षा के स्थान पर, आधुनिक शिक्षा के नाम पर पहले हमें मैकाले वादी शिक्षा ने केवल घर परिवार का बोझ ढोने योग्य ढर्रे से जोड़ा। फिर धीरे धीरे बाहरी जनसँख्या के दबाव में सीमित रोजगार व असंवेदनशील नेतृत्व ने रोजगार के अवसर भी छीन लिए। अराजकता की स्थिति बना कर शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्र द्रोहियों को स्थापित कर दिया।
इसी का परिणाम है, आज तथा कथित NCERT राष्ट्रीय शिक्षा अनुसन्धान प्रशिक्षण परिषद् में देश की पीढ़ियों को अंधकार, अनैतिकता व अराजकता में धकेलने के साथ राष्ट्रिय मूल्यों व संस्कृति के प्रति असंवेदनशील बनाने के कुचक्र (अनुसन्धान) चल रहे हैं। किन्तु हर बात में नगाड़ा बजाने वाला मीडिया मौन है।
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हमें, यह मैकाले की नहीं, विश्वगुरु की शिक्षा चाहिए |
आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर
हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक