स्वांस लेना ही, कोई जीवन नहीं; यदि अर्थ जीने का, समझ आता नहीं।
जीवन है, एक तालाब; जब तक बाहरी विश्व से, परिचित नहीं है आप।
जीवन है, एक नदी; समय की धारा पहचान कर, तैरना जानते नहीं यदि।
जीवन है, एक धारा; यदि लक्ष्य से भटकना, किसी भी कारण हो, स्वीकारा।
जीवन एक, सागर है; जब ह्रदय आपका, वसुधैव कुटुम्बकम की गागर है।
जीवन तब, महासागर है; यदि लक्ष्य की सफलता के, बने आप पारंगत हैं।
जीवन उनका, सुंदर है; राष्ट्र हित जीने का साहस, जिनके मन अंतर में है।
पूरा परिवेश पश्चिमकी भेंट चढ़ गया है.
उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का
अनुसरण कर हम अपने जीवन को
उचित शैली में ढाल सकते हैं!
आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
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