सुखसुविधा की खोजमें भागदौड़ ने हमारे जीवनसे स्वस्थ व शांति को छीन, हमें विचलित कर दिया। तन, मन व वातावरण सहित पूरा परिवेश पश्चिमकी भेंट चढ़ गया है। उसे सही मार्ग पर लाने हेतु खानपान, रहनसहन, रीतिरिवाज़ सहित संस्कारित करने हेतु तत्त्वज्ञान, वास्तु,योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर हम अपने जीवनको उचित शैली में ढाल सकते हैं। यदि आप इस विषयमें विशेष योग्यता रखते है, लिखें, निस्संकोच ब्लॉग पर टिप्पणी/अनुसरण/निशुल्क सदस्यता व yugdarpan पर इमेल/चैट करें,संपर्कसूत्र-तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, 9999777358.

बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Wednesday, August 13, 2014

शर्म निरपेक्षता का उपचार

शर्म निरपेक्षता का उपचार (4 वर्ष पूर्व रचित) 
https://www.facebook.com/traj.relan/photos/a.578602608816685.1073741825.578602582150021/578602612150018/?type=1&theater
कारनामे घृणित हों कितने भी,शर्म फिर भी मुझे नहीं आती !
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष, शर्म मुझको तभी नहीं आती !!
जो तिरंगा है देश का मेरे, जिसको हमने स्वयं बनाया था;
हिन्दू हित की कटौती करने को, 3 रंगों से वो सजाया था;
जिसकी रक्षा को प्राणों से बड़ा मान, सेना दे देती बलिदान;
उस झण्डे को जलाते जो, और करते हों उसका अपमान;
शर्मनिरपेक्ष बने वोटों के कारण, साथ ऐसों का दिया करते हैं;
मानवता का दम भरते हैं, क्यों फिर भी शर्म नहीं आती?
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष....कारनामे घृणित हों कितने भी,शर्म फिर भी मुझे नहीं आती !
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष, शर्म मुझको तभी नहीं आती !!
वो देश को आग लगाते हैं, हम उनपे खज़ाना लुटाते हैं;
वो खून की नदियाँ बहाते हैं, हम उन्हें बचाने आते हैं;
वो सेना पर गुर्राते हैं, हम सेना को अपराधी बताते हैं;
वो स्वर्ग को नरक बनाते हैं, हम उनका स्वर्ग बसाते हैं;
उनके अपराधों की सजा को,रोक क़े हम दिखलाते हैं;
अपने इस देश द्रोह पर भी, हमको है शर्म नहीं आती!
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष...कारनामे घृणित हों कितने भी,शर्म फिर भी मुझे नहीं आती !
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष, शर्म मुझको तभी नहीं आती !!
इन आतंकी व जिहादों पर हम गाँधी के बन्दर बन जाते;
कोई इन पर आँच नहीं आए, हम खून का रंग हैं बतलाते;
(सबके खून का रंग लाल है इनको मत मारो)
अपराधी इन्हें बताने पर, अपराधी का कोई धर्म नहीं होता;
रंग यदि आतंक का है, भगवा रंग बताने में हमको संकोच नहीं होता;
अपराधी को मासूम बताके, राष्ट्र भक्तों को अपराधी;
अपने ऐसे दुष्कर्मों पर, क्यों शर्म नहीं मुझको आती;
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष....कारनामे घृणित हों कितने भी, शर्म फिर भी मुझे नहीं आती !
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष, शर्म मुझको तभी नहीं आती !!
47 में उसने जो माँगा वह देकर भी, अब क्या देना बाकि है?
देश के सब संसाधन पर उनका अधिकार, अब भी बाकि है;
टेक्स हमसे लेकर हज उनको करवाते, धर्म यात्रा टेक्स अब भी बाकि है;
पूरे देश के खून से पाला जिस कश्मीर को 60 वर्ष;
थाली में सजा कर उनको अर्पित करना अब भी बाकि है;
फिर भी मैं देश भक्त हूँ, यह कहते शर्म मुझको मगर नहीं आती!
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष...कारनामे घृणित हों कितने भी,शर्म फिर भी मुझे नहीं आती !
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष, शर्म मुझको तभी नहीं आती !!
यह तो काले कारनामों का,एक बिंदु ही है दिखलाया;
शर्मनिरपेक्षता के नाम पर कैसे है देश को भरमाया?
यह बतलाना अभी शेष है, अभी हमने कहाँ है बतलाया?
हमारा राष्ट्र वाद और वसुधैव कुटुम्बकम एक ही थे;
फिर ये सेकुलरवाद का मुखौटा क्यों है बनवाया?
क्या है चालबाजी, यह अब भी तुमको समझ नहीं आती ?
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष...कारनामे घृणित हों कितने भी,शर्म फिर भी मुझे नहीं आती !
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष, शर्म मुझको तभी नहीं आती !! शर्म मुझको तभी नहीं आती !!
वन्देमातरम, 
पंचतंत्र कथा जैसी एक घटना लोकसभा में घटी -अब तक सत्ता में रहते साम्प्रदायिकता का चक्रव्यूह रचती सं प्र गधा पार्टी ने सत्ता छूटने से हताश चक्र फेंक दिया। उनका एक गधा उस शस्त्र को मुँह घसीट कर अखाड़े में ले तो गया किन्तु गधा था, स्वयं चक्रव्यूह में फंस गया। कैसे हुआ देखें -

कांग्रेस के उठाये मुद्दे (साम्प्रदायिकता) पर लोकसभा में चर्चा के मध्य गोरखपुर के सांसद " योगी आदित्यनाथ " के द्वारा कांग्रेस से पूछे गए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न ...??? 
आप भी पढ़े और अपनी प्रतिक्रिया अवस्य दें 

1.) देश में 12 लाख साधु संत हैं किन्तु केवल मौलवियों के लिए वेतन क्यो ?
2.) काग्रेस ने असम दंगों पर क्यो नही लोकसभा में चचाॅ की ?
3.) कब्रिस्तान की घेरा बंदी पर ही 300 करोड क्यों ?
4.) कांठ मे 3 मसजिद और 1 मंदिर केवल हिंदु मंदिर का लाउडस्पीकर क्यो हटाये गया ?
5.) असम में अलि और कुली का नारा किसने दिया ?
6.) मंयनमार की घटना पर मुंबई की घटना पर काग्रेस क्यो चुप रही ?
7.) सहारनपुर में माननीय न्यायालय ने गुरुद्वारा बनाने का आदेश दिया, तो प्रशासन ने आदेश का पालन करो नही किया ?
8 )उतर प्रदेश मे सभी योजनाओं में 20% क्यो मुसलमानों के लिए आरक्षित ?
9.) मुस्लिमों की बेटियों को ही स्कूटी के लिए 42000 क्यो कालेज जाने के लिए, क्या हिंदुओं की लडकी कालेज नही जाती ?
वन्देमातरम, 
जब नकारात्मक बिकाऊ मैकालेवादी, मीडिया जनता को भ्रमित करे, तब पायें; शर्मनिरपेक्ष मीडिया का सकारात्मक राष्ट्रवादी व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प, - आओ मिलकर देश बचाएं ! पत्रकारिता व्यवसाय नहीं, एक पुनीत संकल्प है। इस देश को लुटने से बचाने हेतु तथा विश्व कल्याणार्थ, जड़ों से जुड़ें युगदर्पण के संग। विविधता, व्यापकता व राष्ट्रवाद के लेखन सहित: युगदर्पण मीडिया समूह YDMS में विविध विषय के 30 ब्लाग, 5 चेनल, orkut, FB, ट्वीटर etc तथा कई समूह, समुदाय एवं पेज भी है।
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