मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष, शर्म मुझको तभी नहीं आती !!
जो तिरंगा है देश का मेरे, जिसको हमने स्वयं बनाया था;
हिन्दू हित की कटौती करने को, 3 रंगों से वो सजाया था;
शर्मनिरपेक्ष बने वोटों के कारण, साथ ऐसों का दिया करते हैं;
मानवता का दम भरते हैं, क्यों फिर भी शर्म नहीं आती?
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष....कारनामे घृणित हों कितने भी,शर्म फिर भी मुझे नहीं आती !
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष, शर्म मुझको तभी नहीं आती !!
वो देश को आग लगाते हैं, हम उनपे खज़ाना लुटाते हैं;
वो खून की नदियाँ बहाते हैं, हम उन्हें बचाने आते हैं;
वो सेना पर गुर्राते हैं, हम सेना को अपराधी बताते हैं;
वो स्वर्ग को नरक बनाते हैं, हम उनका स्वर्ग बसाते हैं;
उनके अपराधों की सजा को,रोक क़े हम दिखलाते हैं;
अपने इस देश द्रोह पर भी, हमको है शर्म नहीं आती!
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष...कारनामे घृणित हों कितने भी,शर्म फिर भी मुझे नहीं आती !
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष, शर्म मुझको तभी नहीं आती !!
इन आतंकी व जिहादों पर हम गाँधी के बन्दर बन जाते;
कोई इन पर आँच नहीं आए, हम खून का रंग हैं बतलाते;
(सबके खून का रंग लाल है इनको मत मारो)
अपराधी इन्हें बताने पर, अपराधी का कोई धर्म नहीं होता;
रंग यदि आतंक का है, भगवा रंग बताने में हमको संकोच नहीं होता;
अपराधी को मासूम बताके, राष्ट्र भक्तों को अपराधी;
अपने ऐसे दुष्कर्मों पर, क्यों शर्म नहीं मुझको आती;
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष....कारनामे घृणित हों कितने भी, शर्म फिर भी मुझे नहीं आती !
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष, शर्म मुझको तभी नहीं आती !!
47 में उसने जो माँगा वह देकर भी, अब क्या देना बाकि है?
देश के सब संसाधन पर उनका अधिकार, अब भी बाकि है;
टेक्स हमसे लेकर हज उनको करवाते, धर्म यात्रा टेक्स अब भी बाकि है;
पूरे देश के खून से पाला जिस कश्मीर को 60 वर्ष;
थाली में सजा कर उनको अर्पित करना अब भी बाकि है;
फिर भी मैं देश भक्त हूँ, यह कहते शर्म मुझको मगर नहीं आती!
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष...कारनामे घृणित हों कितने भी,शर्म फिर भी मुझे नहीं आती !
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष, शर्म मुझको तभी नहीं आती !!
यह तो काले कारनामों का,एक बिंदु ही है दिखलाया;
शर्मनिरपेक्षता के नाम पर कैसे है देश को भरमाया?
यह बतलाना अभी शेष है, अभी हमने कहाँ है बतलाया?
हमारा राष्ट्र वाद और वसुधैव कुटुम्बकम एक ही थे;
फिर ये सेकुलरवाद का मुखौटा क्यों है बनवाया?
क्या है चालबाजी, यह अब भी तुमको समझ नहीं आती ?
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष...कारनामे घृणित हों कितने भी,शर्म फिर भी मुझे नहीं आती !
मैं हूँ एक शर्मनिरपेक्ष, शर्म मुझको तभी नहीं आती !! शर्म मुझको तभी नहीं आती !!
वन्देमातरम,
पंचतंत्र कथा जैसी एक घटना लोकसभा में घटी -अब तक सत्ता में रहते साम्प्रदायिकता का चक्रव्यूह रचती सं प्र गधा पार्टी ने सत्ता छूटने से हताश चक्र फेंक दिया। उनका एक गधा उस शस्त्र को मुँह घसीट कर अखाड़े में ले तो गया किन्तु गधा था, स्वयं चक्रव्यूह में फंस गया। कैसे हुआ देखें -
कांग्रेस के उठाये मुद्दे (साम्प्रदायिकता) पर लोकसभा में चर्चा के मध्य गोरखपुर के सांसद " योगी आदित्यनाथ " के द्वारा कांग्रेस से पूछे गए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न ...???
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1.) देश में 12 लाख साधु संत हैं किन्तु केवल मौलवियों के लिए वेतन क्यो ?
2.) काग्रेस ने असम दंगों पर क्यो नही लोकसभा में चचाॅ की ?
3.) कब्रिस्तान की घेरा बंदी पर ही 300 करोड क्यों ?
4.) कांठ मे 3 मसजिद और 1 मंदिर केवल हिंदु मंदिर का लाउडस्पीकर क्यो हटाये गया ?
5.) असम में अलि और कुली का नारा किसने दिया ?
6.) मंयनमार की घटना पर मुंबई की घटना पर काग्रेस क्यो चुप रही ?
7.) सहारनपुर में माननीय न्यायालय ने गुरुद्वारा बनाने का आदेश दिया, तो प्रशासन ने आदेश का पालन करो नही किया ?
8 )उतर प्रदेश मे सभी योजनाओं में 20% क्यो मुसलमानों के लिए आरक्षित ?
9.) मुस्लिमों की बेटियों को ही स्कूटी के लिए 42000 क्यो कालेज जाने के लिए, क्या हिंदुओं की लडकी कालेज नही जाती ?वन्देमातरम,
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